साथ
लघुकथा
साथ
“हैलो पापा, कैसे हैं आप ? मम्मी का क्या हाल है ?”
“सब बढ़िया है बेटा। मम्मी भी ठीक है। तुम बताओ कैसे हो ? बहू की तबीयत ठीक है न। गुड़िया कैसी है ? जा रही है न स्कूल ?”
“हाँ पापा, यहाँ भी सब ठीक है। गुड़िया स्कूल भी जा रही है। आप लोगों की बहुत याद आ रही थी। इसलिए सोचा थोड़ी देर बात कर लिया जाए।”
“हाँ बेटा, अच्छा किया जो फोन लगा लिया। हमें भी तुम लोगों की बहुत याद आ रही थी।”
“पापा, आप यहाँ क्यों नहीं आ जाते। सब साथ रहते तो क्या ही अच्छा होता।”
“बेटा, हम यहीं ठीक हैं। वहाँ शहर में हमारा क्या काम ? वहाँ हम बोर हो जाएँगे बेटा।”
“नहीं होंगे दादा जी। मैं आपको बोर होने नहीं दूँगी। प्लीज आप दादी को लेकर यहाँ आ जाइए न।”
“अरी गुड़िया रानी, तुम भी हो पापा के साथ ?”
“मैं भी हूँ पापा। स्पीकर पर हम तीनों हैं। गुड़िया सही कह रही है। आप और मम्मी जी यहाँ बिल्कुल भी बोर नहीं होंगे। उतना भी बुरा नहीं है शहर। आप लोग यहाँ रहेंगे तो हमें बहुत सपोर्ट हो जाएगा। बहुत मिस करते हैं हम सभी आप लोगों को।”
“हाँ बेटा, हम भी बहुत मिस करते हैं।”
“पापा, प्लीज़ आप यहाँ आ जाइए। आप रहेंगे तो गुड़िया की अच्छे से देखभाल हो सकेगी। आज वह स्कूल बस से स्कूल आती-जाती है। आप लोग रहेंगे तो आपके साथ आना-जाना करेगी। आते-जाते आप बाजार से ताजी सब्जियां भी ला सकते हैं। आपके रहते हमें हमें उसे कहीं और ट्यूशन पढ़ने के लिए भेजना नहीं पड़ेगा, बल्कि आप चाहें तो यहाँ आसपास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा सकेंगे।”
“पर, बेटा गुड़िया स्कूल बस से क्यों आना-जाना कर रही है ? बहू क्यों नहीं छोड़ देती ?”
“पापा, उसका तीसरा महीना चल रहा है। डॉक्टर ने ऐहतियात के तौर पर गाड़ी चलाने के लिए मना किया है।”
“क्या ? तीसरा महीना ? अरे बेवकूफ और तू हमें अब बता रहा है। अरी रमेश की अम्मा, सुनती हो… बधाई हो… तुम फिर से दादी बनने वाली हो। चलो, जल्दी से सामान पैक करो। आज ही शाम की गाड़ी से निकलना है। बेटा रखता हूँ फोन आ रहे हैं शाम की गाड़ी से। बहुत काम है अभी। सारा सामान पैक करना है। तुम बस दो टिकट करा दो हमारी।”
“उसकी जरूरत नहीं है पापा।”
“क्या मतलब ? बिना टिकट के कैसे ?”
“वो इसलिए दादाजी कि हम आप दोनों को ले जाने के लिए अपनी कार से आ रहे हैं। बस थोड़ी ही देर में पहुँच जाएँगे। आप तो बस सामान पैक करते रहिए।” गुड़िया की बात सुनकर वे खुशी से झूम उठे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़