कविता

बंजर सोच

जिंदगी जीने के लिए जरूरी है
एक सकारात्मक सोच,
जो काम करता है सतत
आगे बढ़ने बढ़ाने के लिए रोज,
सोच दो तरह के होते हैं,
एक जो सकारात्मक मानवतावादी है
जिसमें आपसी प्रेम भाईचारा सहयोग और
सदा मिलकर चलने पर आधारित होता है,
दूसरी सोच बिल्कुल इसके उलट
नकारात्मकता वाला जो सिर्फ प्रचारित होता है,
मगर कुछ लोग केवल भ्रमित रहते हैं,
कभी मानवीय मूल्यों को
तो कभी हिंसात्मक विचार को सही कहते हैं,
जब खुद पर मुसीबत हो तो
हर किसी से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं,
जब सहायता देने का वक़्त आता है
तो ईर्ष्यावश मन में भाव उपेक्षा रखते हैं,
उत्कृष्ट सोच खुद के साथ ही
औरों के लिए भी एक नये मार्ग पर
निरंतर हंसते हुए चलना सिखाता है,
पर दूसरी तरफ विपरीत प्रभाव में जा
दूसरों की प्रगति पर जलना सिखाता है,
परंतु कई ऐसे भी बंजर सोच वाले होते हैं
जिन्हें किसी चीज से मतलब नहीं,
जीना,कमाना,खाना और मर जाना
ही रहता है हमेशा सही,
जिसका कोई ओर छोर होता है
और न कोई निर्धारित लक्ष्य,
जो काम नहीं आता वतन का
चाहे किसी क्षेत्र में हो प्रवीण या दक्ष,
यह न भूलें कि
जितना जरूरी है अधिकार
उतना ही जरूरी कर्तव्य है,
तभी कोई कहेगा वह मानव शील और सभ्य है।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

Leave a Reply