कुण्डली/छंद

आयी मोहिनी भोर!

 मोहिनी सी मुस्कुराती,

रागिनी गुनगुनाती,

इठलाती आयी भोर,

आयी रविरश्मियाँ।।1।।

प्राची ले नवल रंग,

लायी उमंग, तरंग,

पंछी करे कलरव, 

खिली पुष्प क्यारियाँ।।2।।

चेतन धरा गगन,

धारा बहे हो मगन,

अनुरागी जीवन में,

चहकती खुशियाँ।।3।।

ओस बून्दें चमकती,

जैसे हो माणिक मोती,

सुप्रभाती भक्तिगीत,

आनन्द लहरियाँ।।4।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८