बाल कविता

छोटा बच्चा मैं बन जाऊं….

छोटा बच्चा मैं बन जाऊं,

खूब खेलूं, मौज मनाऊं।।

खूब करे हम धमा-चौकडी, 

दादाजी की छुपाऊं छडी।।

चिमटी धीरे से काटूं छोटी को,

हंस हंस लोटपोट हो जाऊं।।

ले चश्मा पोपली दादीजी का,

मजा लूं शरारती बचपन का।।

माँ के आँचल में छुप जाऊं,

कोई डांटे, खूब आंसू बहाऊं।।

हर जिद मेरी पूरी करे दादाजी,

मनभाती मिठाई खिलाये दादीजी।।

मम्मी पापा भी कुछ न कहते, 

प्यार पकौडी हैं सूद मूल की।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८