मुक्तक/दोहा

परख पारखी की खरी

परख पारखी की खरी, चुन चुन करें बखान।
कीचड़ से मोती चुने, हीरे के गुण जान।।

खोट भरा कितना कहाँ, जाने भेद सुनार।
परख पारखी ही करे, गूढ़ तत्व का सार।।

गुरु की नजरों में बसा, शिष्य कोई महान।
देता गद्दी है उसे, होता जो विद्वान।।

परख पारखी काम है, करता गूढ़ निचोड़।
बिचौलिया बन के करे, दो रिश्तों का जोड़।।

परख पारखी साध के, चुनते लीडर एक।
उस के ही आदेश से, पीछे चलें अनेक।।

परख पारखी देख के, चुनते रचनाकार।
सर्वोत्तम होता वही, जिस के उच्च विचार।।

होते खिलाड़ी एक से, रहे दंड सब पेल।
परख पारखी ही करे, किस का उत्तम खेल।।

पाप कर्म छुप के करे, बन फिरता नादान।
परख पारखी एक है, देख रहा भगवान।।

परख पारखी ही करे, चीर बाल की खाल।
कैसे बच कर जा सके, सच कहता सन्याल।।

— शिव सन्याल

शिव सन्याल

नाम :- शिव सन्याल (शिव राज सन्याल) जन्म तिथि:- 2/4/1956 माता का नाम :-श्रीमती वीरो देवी पिता का नाम:- श्री राम पाल सन्याल स्थान:- राम निवास मकड़ाहन डा.मकड़ाहन तह.ज्वाली जिला कांगड़ा (हि.प्र) 176023 शिक्षा:- इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लोक निर्माण विभाग में सेवाएं दे कर सहायक अभियन्ता के पद से रिटायर्ड। प्रस्तुति:- दो काव्य संग्रह प्रकाशित 1) मन तरंग 2)बोल राम राम रे . 3)बज़्म-ए-हिन्द सांझा काव्य संग्रह संपादक आदरणीय निर्मेश त्यागी जी प्रकाशक वर्तमान अंकुर बी-92 सेक्टर-6-नोएडा।हिन्दी और पहाड़ी में अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। Email:. [email protected] M.no. 9418063995