कुण्डली/छंद

दोहावली 

1)

छोटी-छोटी गलतियां, होता घोर विनाश।

ग्रंथ महाभारत कहे, बुरा लोभ मद पाश।।

2)

धर त्रिशूल सबला बनो, दो पापी को दंड।

देवी दुर्गा रूप हो, तोड़ो सब पाखंड।।

3)

डंसता मनुज भुजंग सा, डंक लोभ विद्वेष।

धारे रूप बहुरूपिया, बदले पलपल भेष।।

4)

धर्म कर्म सत्संग से, मानवता सम्मान।

सत्य, शील संगम जहां, जीवन का उत्थान।।

5)

धर्म कर्म सत्संग से, मानवता सम्मान।

सत्य, शील संगम जहां, जीवन का उत्थान।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८