लघुकथा

लघुकथा – स्वेटर

रोमा जब से शादी होकर आई है तब से हर सर्दी में अपने पति रोहण को इन्हीं दो स्वेटरों में देख रही है।आज पाँच साल हो गए ।
रोहण का जन्मदिन आने वाला था।रोमा ने सोचा कि रोहण को क्यों न एक बढ़िया सा स्वेटर गिफ्ट किया जाए। वह बाजार गई और एक महंगा क्रीम कलर का स्वेटर खरीद लाई।
खुशी-खुशी उसने रोहण को स्वेटर गिफ्ट किया।स्वेटर को देखते ही रोहण ने कहा-“इसकी क्या जरूरत थी।मेरे पास पहले से ही दो-दो स्वेटर तो थे।”
रोमा ने कहा-“वो तो आप बरसों से पहन रहे हैं।वे स्वेटर पुराने हो चुके हैं। अब ये नया स्वेटर पहनना।”
यह सुनकर रोहण ने कहा-“वो स्वेटर मेरी अनमोल धरोहर हैं क्योंकि वे मेरे माँ के हाथों से प्यार से बुने गए हैं।उन स्वेटरों में मेरी माँ के हाथों की छुअन मुझे महसूस होती है।वे स्वेटर मुझे प्यार की गर्माहट देते हैं जो इस रेडीमेड स्वेटर से मुझे नहीं मिल सकती।यह स्वेटर मेरे लिए बहुत ही कीमती हैं।मैं तो इन स्वेटरों को मरते दम तक पहनूँगा।”
यह सुनकर रोमा सोचने लगी कि वह भी स्वेटर बुनना सीखेगी ताकि अपने बेटे के लिए वह स्वेटर बुन सके।उसका बेटा उसके प्यार को आजीवन महसूस कर सकें।यह सोचते हुए वह मुस्कुरा पड़ी।

— डॉ. शैल चन्द्रा

*डॉ. शैल चन्द्रा

सम्प्रति प्राचार्य, शासकीय उच्च माध्यमिक शाला, टांगापानी, तहसील-नगरी, छत्तीसगढ़ रावण भाठा, नगरी जिला- धमतरी छत्तीसगढ़ मो नम्बर-9977834645 email- [email protected]

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