कविता

कल्पना

वो कल्पना की उड़ान ही है जो
नवीन अविष्कारों को जन्म देती है,
आधुनिकता के विचारों को जन्म देती है,
कुछ स्वार्थी लोग थे जो कथा कहानी दिए,
मानसिक गुलामी ओढ़ा जिसने
सारे सुख चैन हड़प लिए,
वंचितों ने भी बहुत कल्पनाएं किये होंगे,
सामाजिक आजादी के बगैर
अपनी सोच होठों पे ही सिये होंगे,
ये जीवित इंसानों के बस की बात है,
मुर्दों में कहां सोचने की औकात है,
कल्पना से ही रेल बस हवाई जहाज आया,
जिससे एक उन्नत समाज आया,
कल्पनाओं से ही लोकतांत्रिक विचार आया,
इसी से समता समानता हक़ अधिकार आया,
इसी सोच ने सूर्य को केंद्र में बिठाया,
धरती को भानू के चारों ओर घूमना बताया,
दूरसंचार सेवाएं इसी कल्पना की देन है,
दूर से बात कर जता पा रहे प्रेम है,
कल्पना के रहते कभी दूर न होंगी संभावनाएं,
खोज होते रहेंगे सबकी पूर्ण होंगी कामनाएं।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554