यह चार लोग
यह चार लोग ही हैं दुनिया में
चलती है जिन की सरदारी
झूठे बेईमान चुगलबाज और लालची
इनसे डरती है दुनियां सारी
जब भी करना होता है शुरू कोई काम
सब यही कहते हैं चार लोग क्या कहेंगे
इन चार लोगों के किस्से हैं हर जुबान पर
रहना पड़ेगा इनके साथ चाहे यह कुछ भी करेंगे
झूठा झूठ फैलाएगा
छोटी छोटी बातों को बड़ा बताएगा
रिश्तों में पैदा कर देगा दरार
अपना काम करके निकल जायेगा
बेईमान बेईमानी से बाज नहीं आएगा
मेहनत से कभी नहीं कमाएगा
हेराफेरी से कर लेगा दौलत इक्कठी
पर उसको साथ नहीं ले जा पायेगा
चुगलबाज भी कम नहीं किसी से
इधर की बात उधर मिर्च लगाकर बताएगा
दूर से तमाशा देखेगा घर जलाकर
भाई को भाई से लड़ायेगा
लालची लालच में आ जायेगा
राज की बात भी दूसरों को बताएगा
बदनाम करेगा ज़माने में
इज़्ज़त ख़ाक में मिलाएगा
हम सब के अंदर ही हैं यह चार लोग
अपने अंदर झांक कर देखो जरा
मन को बहुत सकूँ मिलेगा छोड़ दो बुराई
दूसरों का भला कभी करके देखो जरा
— रवींद्र कुमार शर्मा