गीतिका/ग़ज़ल

मान जाया कीजिए

हमारी कमज़ोरी का फ़ायदा उठा,
रोज गुस्सा मत दिखाया कीजिए ।

मुस्कुराहट आपकी खूबसूरत बड़ी,
जब मनाएं मान जाया कीजिए ।

दाल गलती नहीं बिना आपके,
नाराज़ हो न तड़पाया कीजिए ।

प्रेम “आनंद” जीवन आपकी हंसी,
ख़फ़ा हो दिल ना दुखाया कीजिए ।

माना गुस्ताख़ दिल भूल कर बैठता,
माफ़ कर गले से लगाया कीजिए ।

जिंदगी की रौनक आप से ही है,
मीठे नगमें ज़रा सुनाया कीजिए ।

प्यारा परिवार यूं ही खिलता रहे,
चाहतों का दामन खटखटाया कीजिए ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु