असम : लोकजीवन और संस्कृति
जनसंख्या की दृष्टि से असम पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है I यह राज्य अनेक संस्कृतियों का संगम स्थल है I श्रीमंत शंकरदेव की इस पुण्य भूमि में अनेक संस्कृति, सभ्यता, विचारधारा और परम्पराएं घुलमिलकर दूध में पानी की तरह एकाकार हो गई हैं I विभिन्न कालखंडों में यहाँ आर्य, द्रविड़, तिब्बती, बर्मन आदि आए और यहाँ के लोकजीवन में घुलमिलकर एक हो गए I असम में कामता, अहोम, सूतिया, कोच, भूइयां, कछारी साम्राज्यों ने शासन किया I संस्कृति, भाषा, परंपरा, रहन-सहन, खान-पान, रीति-रिवाज, पर्व-त्योहार, वेशभूषा आदि की दृष्टि से असम में बहुत विविधता है I यहाँ मुख्य रूप से हिंदू, मुस्लिम और ईसाई धर्मावलम्बी रहते हैं I बौद्ध, सिख, जैन धर्म को माननेवाले लोग भी अल्प संख्या में हैं I असम में सर्वाधिक जनसंख्या हिंदू धर्मावालाबियों की है I हिंदू धर्म की शैव, शाक्त और वैष्णव तीनों शाखाओं में आस्था रखनेवाले लोग हैं I ईसाई धर्म असम का मौलिक धर्म नहीं है, इसका प्रसार अंग्रेजों के आगमन के बाद ईसाई मिशनरियों के द्वारा किया गया I बंगलादेशी घुसपैठ इस प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण यहाँ की जनसांख्यिकी असंतुलित होती जा रही है I वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार असम के 11 जिलों की जनसंख्या वृद्धि देश में सर्वाधिक रही है I यदि इस रिपोर्ट को देखने के बाद भी सरकारों, राजनैतिक दलों की आँखें बंद रहें तो असम और इस देश का भगवान ही मालिक है I प्रस्तुत पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य असम के लोकजीवन, समाज, लोक उत्सव, लोकसाहित्य, संस्कृति, समृद्ध परम्पराओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालना है I
पुस्तक-असम : लोकजीवन और संस्कृति
लेखक-वीरेन्द्र परमार
प्रकाशक-हिंदी बुक सेंटर, दरियागंज, नई दिल्ली
वर्ष-2020
मूल्य-200/-