मुक्तक/दोहा

दोहा 

1)
तितली प्यारी सोहनी, सुंदर उसके रंग।
बिना गिला छेडो नहीं, बदलो अपना ढंग।।

2)
कूके कोयलिया मधुर, मीठा स्वर निनाद।
पके आम देखो सरस, मनभाये आस्वाद।।

3)
मिलती छाया पेड़ से, मीठे फल औ फूल।
कलकल बहती दे नदी, मीठा जल माकूल।।

4)
मधुरिम सुर लय गीत की, महफिल सजती रोज।
पंछी जब घर लौटते, लेकर अपना भोज।।

5)
प्रकृति रूप अनुपम रहे, पेड़ लगाओ आप।
फूलों से बाग महकता, वृक्ष बचाते ताप।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८