तहजीब
रिश्तों को मजबूत बनाने में,
इस इल्म की बारिकियों को समझने की कोशिश करनी चाहिए,
नफासत है तो दुनिया आबाद है,
इसपर तोहमत लगाने से,
हमेशा बचना चाहिए।
रिश्ते नाते निभाने वाले,
इस इल्म को हासिल करने में सक्षम हैं।
इस ख्याल से निकली हुई आवाज में,
नहीं दिखता दमखम है।
सलीका या यूं कहें ढोंग है,
इसकी वजह जानना जरूरी है।
इस जहां में खुशियां भरपूर मिले,
इसमें मेहनत जोश और उत्साह से भरपूर होने का निर्णय,
बन चुकी एक मजबूरी है।
हमेशा खामियां अक्सर खुद को सजाने संवारने में,
लगा रहता है।
इस मंज़र के सामने आने पर,
तमाशा देख कर,
बदहाल दिखता है।
आइना दिखाया जाता है,
लोग एतबार नहीं करते हैं।
आइना दिखाने वाले शखिसियत,
अक्सर अपने आईने को,
साफ़ नहीं करते।
फिजूल कोशिश कर,
कुछ हमदर्दी जताते हैं।
नज़रों से देखा जाए तो,
बस एक फर्ज निभाते हैं।
खामोशियों से जूझते हुए,
अक्सर लोगों को इस बात पर,
यक़ीन नहीं होता है।
वक्त आने पर ही,
सब लोग कहते हैं,
इसकी वजह से ही,
सब रिश्ते नाते की परख,
यही तब असली रूप में,
सबके सामने असलियत लेकर,
उगना शुरु करने की,
बारिकियों को समझता है।
— डॉ. अशोक, पटना