गीतिका/ग़ज़ल

धत् तेरी की

हंसकर उसने मारा चांटा, धत् तेरी की,
पसर गया पूरा सन्नाटा, धत् तेरी की।

टिकट मिला है जबसे उसको लोकसभा का,
सीख रहा है रोज कराटा, धत् तेरी की।

उलटवासियां गजब चल रही हैं भारत में
चूहे ने बिल्ली को डाटा, धत् तेरी की।

बने भतीजे चाचा के भी गुरू आज कल,
मार रहे हैं धोबिया पाटा, धत् तेरी की।

चला एकजुट करने को वह पूरा भारत,
जिसने भारत मां को बांटा, धत् तेरी की।

बीपी,शूगर बढ़े रोज,बिसराए जब से,
चूनी,चोकर,चेनगा,लाटा,धत तेरी की।

मातु-पिता का पालन पोषण करने में भी,
बेटे देख रहे हैं घाटा, धत् तेरी की।

— सुरेश मिश्र

सुरेश मिश्र

हास्य कवि मो. 09869141831, 09619872154

Leave a Reply