यादें
वो सिमटी महकती-सी कुछ यादें,
महका देतीं हैं तन-मन-जीवन,
अक्सर पहुंचा देती हैं उन वीथियों में,
जहाँ बीता था प्यारा-सा बचपन।
कभी पहुंचा देती हैं उन गलियों में,
गुजरा जहाँ सलोना-सा किशोरपन,
वो प्यारी-सी सखियां-सहेलियां,
साथ जिनके हर्षित होता था मन।
कभी पहुंचा देती हैं उन स्मृतियों में,
संग मिला जब सपनों के सजना का,
गूंजी थी किलकारियां नवांकुरों की,
रुनझुन से हुआ गुंजित अंगना था।
सिमटी महकती-सी मधुर यादें ही,
होती है जीवन का अनमोल धन,
यादें होती हैं कुछ कड़वी-कसैली भी,
दे जाती हैं वे भी सबक, संवरता जीवन।
— लीला तिवानी