कविता

यादें

वो सिमटी महकती-सी कुछ यादें,
महका देतीं हैं तन-मन-जीवन,
अक्सर पहुंचा देती हैं उन वीथियों में,
जहाँ बीता था प्यारा-सा बचपन।
कभी पहुंचा देती हैं उन गलियों में,
गुजरा जहाँ सलोना-सा किशोरपन,
वो प्यारी-सी सखियां-सहेलियां,
साथ जिनके हर्षित होता था मन।
कभी पहुंचा देती हैं उन स्मृतियों में,
संग मिला जब सपनों के सजना का,
गूंजी थी किलकारियां नवांकुरों की,
रुनझुन से हुआ गुंजित अंगना था।
सिमटी महकती-सी मधुर यादें ही,
होती है जीवन का अनमोल धन,
यादें होती हैं कुछ कड़वी-कसैली भी,
दे जाती हैं वे भी सबक, संवरता जीवन।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

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