सफलता का छिड़े तराना
विघ्नों का पर्वत भी उखड़े,
संघर्षों का ग्लेशियर पिघले,
हाथ-से-हाथ मिलकर चलना,
सागर जीत के मोती उगले।
किसी से प्रतिस्पर्धा क्यों करना,
किसी को पीछे क्यों पटकना,
मिलकर कर बाधाओं का हल,
साथी हाथ बढ़ाता चल।
खुशियां बांटने से बढ़ती हैं,
विश्वास की गलियां बसती हैं
जीवन उत्सव बन जाता है,
आनंद की कलियां खिलती हैं।
लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाना,
मिलकर साथ में जोर लगाना,
मंजिल खुद चलकर आएगी,
सफलता का छिड़े तराना।
— लीला तिवानी