नयी बहार मिले सबको
नए वर्ष की नयी सुबह से, नयी नयी उमंग मिले।
सूरज की पहली किरनों से, नयी नयी तरंग मिले।।
कुबेर की नजर इनायत हो, त्रास की न आस रहे-
सागर सुख का लहराये, जीने का नया ढंग मिले।।
भोर सबा जब लहराये तो, राग नये-नये गाये-
रिश्ते सारे मॅहकाये, अब विछड़ों का भी संग मिले।।
नया दयार मिले सबको, नयी बहार मिले सबको-
आरजू न कोई शेष रहे, जो देखे वही दंग मिले।।
नया निखार मिले सबको, नया विहार मिले सबको-
ब्याकुल न कोई रहे यहां, सबको यहां रसरंग मिले।।
कायम ‘‘राज’’ सदा रहे, मोहताज कोई न यहां रहे-
मंगलमय नववर्ष रहे, ख्वाबों के सारे विहंग मिले।।
राज कुमार तिवारी ‘‘राज’’
बाराबंकी