धर्म को खतरा
धर्म के नाम पर… क्यों अधर्मी हो जाता है।
मेरे भारत में रहने वाला….हर धर्म
क्यों बात -बात पर खतरें में हो जाता है।
धर्म के नाम पर… क्यों अधर्मी हो जाता है।
लहू का रंग जिन्हें नज़र नहीं आता है।
कट्टरता के नाम पर जो
कहीं गोली तो कहीं पत्थर चलवाता है।
क्यों उन्हें इन्सानियत में,
एक रब नहीं नज़र आता है।
धर्म के नाम पर… क्यों अधर्मी हो जाता है।
देश -देश धर्मों की आग में जलता है।
कहीं बम कही मिसाइल गिर जाता है।
यह कौन से धर्म है।
जो नफरतों से एक -दूसरे को काट खाता है।
इन्सानियत को भूल कर धर्मों में बंट जाता है।
बात- बात पर मरने -मारने को तैयार हो जाता है।
आज़ाद भारत में गुलाम सोच से क्यों निकल नहीं पाता है।
धर्म के नाम पर… क्यों अधर्मी हो जाता है।
क्यों बात -बात पर हर धर्म खतरें में हो जाता है।
— प्रीति शर्मा ‘असीम ‘