कविता

चलाओ कलम

तुझे लिखना है कि लिखो
अपनी कामयाबी को,
अपनी नाकामी को,
अपने विचार को,
अपने लूट जाते अधिकार को,
देश की वास्तविक स्थिति को,
अपनी सामाजिक परिस्थिति को,
चलाओ कलम
करतूत करते वाचालों पर,
वास्तविकता से ध्यान मोड़ते चांडालों पर,
जिसके कारण बढ़ रहे जंजालों पर,
किसी जगह के घिरे अंधेरों पर तो
कहीं जरूरत से ज्यादा उजालों पर,
देश के साथ गद्दारी करते गद्दारों पर,
दकियानूसी विचारों पर,
मजाक बनते अविष्कारों पर,
नुकसानों पर, मुनाफों पर,
सवाल उठते इंसाफों पर,
विगत में हुए अत्याचारों पर,
ढिंढोरा पीटते नाकाम सरकारों पर,
अपने अंदर उठते उमंग पर,
झेलते हर स्तर के जंग पर,
ज्ञान पर विज्ञान पर,
सबसे बड़े संविधान पर,
पूर्वजों के शिक्षित न होने के कारणों पर,
उपजते समस्याओं के निवारणों पर,
लिखोगे आज का अपना देखा हाल,
तो शायद आने वाली पीढ़ी न हो पाए बदहाल,
जिस तरह से पढ़ना पड़ रहा है
आज हमें थोपे गए इतिहास,
नौनिहालों को पढ़ना न पड़े कुछ बकवास,
तो आओ कलम चलाओ, लिखो और
भर दो हर कोरे कागज पर अपने विचार।

— राजेन्द्र लाहिरी

राजेन्द्र लाहिरी

पामगढ़, जिला जांजगीर चाम्पा, छ. ग.495554

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