कविता

स्वागत है नव-वर्ष तुम्हारा

स्वागत है नव-वर्ष तुम्हारा
मंगल-बेला है अति प्यारा।

नव-किरण है नव प्रभात
नव-दिवस की है शुरुवात।

रवि की दमकी है कांतियाँ
फैल रही है स्वर्ण-रश्मियाँ।

स्वागत करने को है मगन
खग-वृन्द बंदी ये जन-जन।

चहुँ-दिसि है प्रसन्नता छाई
कण-कण में है रंगत आई।

बागों में है फूल खिल आए
कलियाँ भी देखो मुस्काई।

नव-वर्ष देखो अब आया है
नई आशा मन मे समाया है।

नए संकल्पों का संचार करें
नए उम्मीदों पर ऐतबार करें।

नव-वर्ष में कुछ नया करेंगे
मन नए प्रीत के रंग भरेंगे।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578

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