स्वागत है नव-वर्ष तुम्हारा
स्वागत है नव-वर्ष तुम्हारा
मंगल-बेला है अति प्यारा।
नव-किरण है नव प्रभात
नव-दिवस की है शुरुवात।
रवि की दमकी है कांतियाँ
फैल रही है स्वर्ण-रश्मियाँ।
स्वागत करने को है मगन
खग-वृन्द बंदी ये जन-जन।
चहुँ-दिसि है प्रसन्नता छाई
कण-कण में है रंगत आई।
बागों में है फूल खिल आए
कलियाँ भी देखो मुस्काई।
नव-वर्ष देखो अब आया है
नई आशा मन मे समाया है।
नए संकल्पों का संचार करें
नए उम्मीदों पर ऐतबार करें।
नव-वर्ष में कुछ नया करेंगे
मन नए प्रीत के रंग भरेंगे।
— अशोक पटेल “आशु”