ज़ुबान पर लगाम
यही हकीकत है,
हम कह सकते सत्य है,
इसमें निर्ममता से निकली हुई आवाज है,
पहल करने वाले कहते असत्य है।
यही कारण है कि,
इसकी वजह से उलझनें बढ़ती है,
सुकून अपनी हिफाजत करने में,
पीछे किनारे पर,
हमेशा पहुंच जाती है।
यही दूरियां बढ़ाती है,
नजदिकियां खत्म करने में,
सबसे बड़ी ताकत,
बनकर तैयार रहती है।
दोस्त और शुभचिंतक,
काफी दूर हो जातें हैं।
हमदर्दी जताने वाले,
खुद नज़र नहीं आते हैं।
खुशियां नासाज़ रहती है,
तकलीफें दुगुनी बढ़ जाती है,
यही कारण है कि सब लोग,
इसकी वजह से परेशान रहते हैं,
सुकून और खुशहाली लाने की,
कोशिश में लगे रहते हैं।
— डॉ. अशोक, पटना