गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

अपने दिल में मेरी तस्वीर बसा कर देखो।
तुम मेरे शह्र भी इक बार तो आकर देखो।।

ला रहा है कोई पैगाम मुहब्बत का फिर।
रास्ता घर का उसे अपने बता कर देखो।।

बसते हो दिल में मुहब्बत के लिए ही साहब।
इश्क़ अपना मेरे महबूब जता कर देखो

हम नहीं भूले वो मंज़र जो देखा आँखों से।
तुमने क्या देखा सुना हमको सुना कर देखो।।

तुमसे मुश्किल है मुहब्बत जो जताना यारो।
हाथ से हाथ सनम से यूं मिलाकर देखो।।

— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

पता- 15a राधापुरम् गूबा गार्डन कल्याणपुर कानपुर

Leave a Reply