हाइकु/सेदोका

माहिया छंद – नोक झोंक

जो देखोगे ऐसे,
बढ़ती धड़कन है,
गुजरेंगे फिर कैसे?

नज़रें तो मिलने दे
मेंरी आँखों में
सपने तो पलने दे।

सपनो का क्या बोलो
जागी रहती हूँ,
मुहँ अपना तो खोलो।

खत में सब लिख डाला,
तू जो हाँ बोले,
बन जाऊँ रखवाला।

नैना ये झुक जाये,
तेरी बातों से
हाय लाज मुझे आये।

यानि तुने है मानी ,
फिर कैसी देरी
आ जा दिलबर जानी।

द्वारे पर बाराती,
आया घोड़े पर
आ भी जा बलखाती ।

हमदम हैं बाँहों में
फिर चाहे जो हो
खुशियाँ अब राहों में|

— सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

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