दोहा छंद रचनाएँ
1)
ले धागे को साथ में, ऊँची उडे पतंग।
छूना है आकाश को, मन में आस उमंग।।
2)
हिंदी से गौरव बढ़े, हिंदी हो पहचान।
सरल, सरस वाणी भली, हो हिंदी सम्मान।।
3)
बुंदें आयी झूमती, मन को दे आह्लाद।
तरो ताजगी दे पुष्प, सुरभित हो प्रासाद।।
4)
ओजस तेजस रश्मियां, चेतन जग संसार।
सूरज ने फैला दिया, कणकण में उजियार।।
5)
मानव जीवन निहित हो, धर्म-कर्म व्यवहार।
जीव दया शुभ भावना, कल्याणी संस्कार।।