सत्य सनातन का महापर्व : महाकुंभ
सत्य सनातन का महान पर्व महाकुंभ आया है,
मन-मस्तिष्क में साधना का अलख जगाया है पर्व,
नदियों की लहरें भी गहराई में मिलती से मिलती है,
आत्मा की पवित्रता का मायाजाल दिलों मे छायी है ।
करोड़ों लोग संकल्प लेकर डुबकी लगाने आये है,
पवित्र नदियों में हम आत्मा के कष्टों को धोने आये है,
हर एक के चेहरे पर आस्था विश्वास भरी खुशी छायी है,
साधक, संत, तपस्वी एक ही धारा में बहते चले आये है ।
साधु संत गाते भजन, शिव गंगा जी की करते नमन,
हर दिलों दिमाग में भक्ति का राग, सुर छंद बज रही है,
जैसे धरती पर स्वर्ग के जैसे चमकती आभा झलक रही है,
महाकुंभ में हर किसी के मिलन की लहर तरह बह रही है ।
गंगा, यमुनाजी और सरस्वती का संगम है यह धरती,
नदियों संग बह रही है ऋषियों मुनियों की असीम ममता,
पवित्रता की यह गाथा गाई जायेगी दुनिया भर me हमेशा,
महाकुंभ में प्रत्येक के जिव्हा को सुख की प्राप्ति हो रही है ।
आस्था का प्रतीक,धर्म का उत्सव,अध्यात्म का मेल है य़ह,
सबकी मनोकामनाएँ होतीं है पूर्ण इस महाकुंभ की मेला मे,
महाकुंभ से सीखते हैं हमसब यहाँ मिलजुल एकत्रित रहना,
एकता – शांति का हो हर विचार अभिव्यक्ति सबका अपना ।
उज्जवल होता है धर्म, एकता, भाइचारे का संदेश यहाँ,
सत्कर्मों का हर रंग, हर दिशा में फैला है हर दिशा मे यहाँ,
महाकुंभ का संगम साक्षी है हम सब का नई दिशा देने का,
हम सबको एक होने का रास्ता , दिलों का आवाज है यह ।
144 साल बाद आया है यह सनातन का महाकुंभ मेला,
जहाँ नागा,अघोरी,अनेकों साधु संतों का मिलता दर्शन हमे,
इसी रूप मे देवी – देवता आते है यहाँ अनेकों रूप मे यहाँ,
ऐसा पवित्र पर्व इस जीवन मे ना कभी आयेगा फिर यहाँ ।
— रूपेश कुमार