कुण्डली/छंद

रोला छंद रचनाएँ 

1)

कृपा मिले प्रभु नाम, नहीं होगा कुछ बांका।

स्वयं प्रकट प्रभु आप, प्रेम से बांधे टांका।।

दर्शन की हिय आस, हृदय हो पावन चंगा।

मन में निर्मल भाव, बहे नित स्नेहिल गंगा।।

2)

महाकुंभ का जोश, भावना पावन सब की।

आस्था, श्रद्धा, भक्ति, मनीषा प्रभु दर्शन की।।

पाप ताप से मुक्ति, नाम प्रभु जी का रटले।

नैया हो भवपार, साधना ऐसी करले।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८

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