हर हर गंगे
कल-कल कल-कल बहती मातु श्री गंगे,
उत्तुंग शिखर से लहराती आई प्राण तरंगे,
देवी भागीरथी माता अति पतित पावनी,
जय जय जय विष्णु चरणोद अमृत संगे ।
हर-हर हर-हर गंगे मंत्रोच्चारण कर ले मन से,
जन्म जन्मांतर के प्यासे फिर कभी न तरसे,
कृपामयी मंदाकिनी है ये साक्षात् मोक्षदायिनी,
पाप धुले सारे अनंत “आनंद” सुख निधि बरसे ।
भक्ति भाव से जो गंगा जी की आराधना करें,
स्नान, जप, ध्यान, कीर्तन और साधना करें,
दुःखनाशिनी देवपगा सदा ही आरोग्य वर्धिनी,
त्रिपथगा भव बाधाओं से पूर्णतया मुक्त करें ।
शशि, डमरू, सर्प, त्रिशूल महादेव के साजे,
जान्हवी तरंगिणी गंग माथ जटा जूट विराजे,
शोक निवारणी, पापहारिणी, सर्व सुखकारिणी,
महिमा गंगे की त्रिलोक मुनि, वेद, पुराण बांचे ।
परमवेगनी, रसातलनिवासनी शुभता निर्मले,
शुभा, ऊंकाररूपिणी श्रीदायै, सौभाग्यप्रदाये,
जगत्प्रिया, सर्वदेवपूजिता, पतितोद्धारिणी,
विनती करो स्वीकार दयालु गंगा महामाये ।
— मोनिका डागा “आनंद”