नर्मदा-वंदना
रेवा मैया नर्मदा,है तेरा यशगान।
तू है शुभ,मंगलमयी,रखना सबकी आन।।
शैलसुता,तू शिवसुता,तू है दयानिधान।
सतत् प्रवाहित हो रही,तू तो है भगवान।।
जीवनरेखा नर्मदा,करती है कल्याण।
रोग,शोक,संताप को,मारे तीखे बाण।।
दर्शन भर से मोक्ष है,तेरा बहुत प्रताप।
तू कल्याणी,वेग को,कौन सकेगा माप।।
नीर सदा बहता रहे,कंकर है शिवरूप।
तू पावन,उर्जामयी,देती सुख की धूप।।
अमिय लगे हर बूँद माँ,तू है बहुत महान।
तभी युगों से हो रहा,माँ तेरा गुणगान।।
प्यास बुझाती मातु तू,देती जीवनदान।
तू आई है इस धरा,बनकर के वरदान।।
अमरकंट से तू निकल,गति सागर की ओर।
तेरी महिमा का नहीं,मिले ओर या छोर।।
संस्कारों को पोसकर,करे धर्म का मान।
तेरे कारण ही मिला,जग को नया विहान।।
अंधकार को मारकर,तू देती उजियार ।
पावन तूने कर दिया,रेवा माँ! संसार।।
— प्रो. शरद नारायण खरे