कविता
कविता क्या मैं जानता नहीं
मन में उमड़ते घुमड़ते विचार
अपने चारों ओर दिखते व्यवहार
लोगों की बोलती सुनती बात
इन सबका मनन कर
शब्दों का शब्द जाल बुनता हूँ
लोगों को अच्छा लगता है
या लगता बुरा
गलत सही जानता नहीं
इसे आप कवित्त समझें
या शब्दों की माला में पिरोया कोई कथन