डिफॉल्ट

यादें

उम्र के इस पड़ाव पे 

जब अकेला हो गया हूँ 

याद आता है अब 

वही सब पुराना 

वो घर वो गली 

वो चौक 

चौराहा 

दोस्तों की टोलिया 

पान की दुकान पर 

बेंच पर बैठकर 

वो हँसना हँसाना 

जाती किसी बाला पर तंज का कसना 

दादा गिरी में 

धौंस थप्पड़ लगाना 

वह दौर था जवानी का 

याद कर कर उनको 

अब गुजर रहा यह बुढ़ापा 

लेकिन यादें अभी ताज़ा है 

लगता है जैसे यह कल की ही बात हो 

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020

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