यादें
उम्र के इस पड़ाव पे
जब अकेला हो गया हूँ
याद आता है अब
वही सब पुराना
वो घर वो गली
वो चौक
चौराहा
दोस्तों की टोलिया
पान की दुकान पर
बेंच पर बैठकर
वो हँसना हँसाना
जाती किसी बाला पर तंज का कसना
दादा गिरी में
धौंस थप्पड़ लगाना
वह दौर था जवानी का
याद कर कर उनको
अब गुजर रहा यह बुढ़ापा
लेकिन यादें अभी ताज़ा है
लगता है जैसे यह कल की ही बात हो