कहानी

नायक की कहानी

1.
अभी का दृश्य नायक सड़क के किनारे बैठा राह पर अपने प्रेयसी को आने का इंतजार कर रहा था, अचानक उसकी आंखों में चमक आ जाती हैं। सामने से प्रेयसी मुस्कुराते निकल जाती हैं, दोनों आमने-सामने आते हैं बस यही मुलाकात है फिर नायक उदास मन से उधर से निकल गया। ये नायक का पहला इंतज़ार नहीं है वो वर्षों से ऐसा करता चला आया है।
अभी नायक अपने मन से सवाल पूछ रहा हैं, उसका क्या गलती हैं जो हर बार उसके हृदय को दुःख मिलता हैं। वो जिसे प्रेम करता है वो उसके आगे चाहकर कुछ बोल नहीं सकता है। उसके जीवन का असली मकसद क्या है, वो इस जीवन को त्याग क्यों नहीं देता है, मगर वो ऐसा क्यों करेगा उसको अपनी जीवन लीला खत्म करके क्या मिलेगा।
फरवरी का महीना है, बसंत मौसम दस्तक दे चुकी है अब नायक के हृदय पर पतझड़ का सन्नाटा है, हवाये सन्नाटा पसरा रही हैं कोयल की संगीत मन को अशांत कर देती हैं। नायक नदी के किनारे बैठा दोनों किनारे को देख रहा है, उसके मन में अपने उपजे प्रेम का अनुभव नदी के किनारे जैसा लग रहा हैं। जो सिर्फ साथ चल सकते मगर कभी मिल नहीं सकते हैं। उदासियां नायक के चेहरे पर झलक रही हैं, वो सादे कागज पर कुछ टूटे-फूटे हिंदी और उर्दू भाषा में शायरी लिख रहा हैं।

2.
अभी का दृश्य नायक के घर पर मां और पिता जी नायक को निकम्मेपन और बेरोजगार होना के कारण खूब खरी-खोटी सुना रहे थे, नायक सिर झुका कर उनके बात को अनसुना कर रहा था। नायक को बेहतर तरीके से पता था कि जीवन में जिम्मेदारी का बहुत महत्व होता हैं मगर वो एक लड़की के पीछे निठल्ला बन चुका था। उसके जीवन का आधार खत्म हो चुका, वो अपने प्रेयसी को सबकुछ मान चुका था। फिलहाल जीवन के लिये कुछ करना चाहिये, यह सोचते नायक अपने मित्र सुमित के घर निकल पड़ा। मित्र सुमित जो नायक का सहपाठी था, कम समय के साथ सुमित बहुत नाम बना चुका था।
अब नायक मित्र सुमित के सामने बैठा अपने घर के कहानी दोहराता है, साथ आसपास किसी छोटी नौकरी के लिये कहता है। सुमित नायक को आश्वासन देते हुये जल्द नौकरी का वादा करता है, नायक से उसके प्रेमिका के बारे में पूछता है। अब नायक अपने मित्र सुमित को बताता है, अभी तक प्रेमिका से बात नहीं कर सका है, मित्र सुमित जोर से हंसते हुये बोलता है तुम्हारी प्रेम कहानी को पूरे 5 साल गुज़र चुके हैं और तुम अभी तक उसे दो शब्द नहीं बोल पाये।
अब नायक अपनी खामोशी तोड़ते हुये कहा “देखो सुमित भाई हमारा प्रेम एक तरफा है, फिलहाल आज तक इजहार न कर पाया, यदि गलती से इजहार कर देता हो सकता वो उम्मीद भी टूट जाता। दोनों स्कूल से लेकर पुराने यादों पर खूब हंसते हैं।
नायक हंस रहा हैं, यह देखकर सुमित की आंखों में आंसू आ जाता है, वो नायक के पुराने भयंकर दर्द को याद कर कर सहम जाता हैं। अब नायक फिर से उदास होकर सुमित को अलविदा कहता है। अपने घर की तरफ निकल जाता हैं, सुमित नायक के बारे में सोचता “यदि इसके जगह कोई और होता अब तक वो कब का मर खप गया होता। इसकी कितनी दर्द भरी कहानी है.

3.
अब नायक अपने मित्र सुमित से मुलाकात करके वापस घर लौट रहा है, उसे लग रहा था कि सुमित उसका मजाक उड़ाया। समाज हर परेशान आदमी के तकलीफों को नजरंदाज करके उसका मजाक ही बनाता है। नायक की गरीबी उसके प्रेम के राह में अड़चन डाल रही थी, नायक अपने पुराने यादों में खो गया वो कालेज के समय सोचता था कि ये जिंदगी बिल्कुल फिल्म की तरह है, पढ़ाई पूरी करके वो शूट पहन कर बिजनेसमैन बनेगा। नहीं वो सरकारी नौकरी की तरफ जायेगा, मगर नौकरी से बेहतर बिजनेस है, खुद मालिक रहोगे जिंदगी बेहतर रहेगा.. फिर एक लड़की उसके जीवन में आ जाती हैं, जो उसके भविष्य को बदल देती हैं।

अब नायक फिर से बीते कल से वर्तमान में आ गया, फिलहाल वो सड़कों पर मारा फिर रहा है। नायक को मां का फोन आता हैं, नायक को जल्द घर जाना पड़ा उसके पिता को हार्ट अटैक आ गया था। नायक पिता को अस्पताल में ले जाकर भर्ती करवाता है, नायक की मां दरवाजे पर बैठकर रो रही है पड़ोसी चुपचाप नजरों से नायक को गाली बक रहे थे। रिश्तेदार निठल्ले लड़के के ऊपर थूक रहे थे, अब नायक खुद की नजर में इतना गिर चुका था किवो खुद की जीवन खत्म करने के लिये अस्पताल से बाहर निकल कर रेलवे पटरी की ओर निकल गया।
नायक के निराशा आंखों के सामने एक बच्चा दिखाई देता जिसे कंधे पर उसके पिता लेकर जा रहे थे, वो बच्चा खूब मुस्कुरा रहा था उसके मुख आभामंडल पर ऐसी चमक जो उस बच्चे को बड़े होने पर लाखों रुपया जेब में होने के बाद नहीं मिलेगा, वहीं दूसरी तरफ एक बुजुर्ग महिला को उसका बड़ा बेटा साइकिल पर बैठा कर ले जा रहा था, बेटे के सेवा से उस बुजुर्ग महिला के चेहरे पर वो शांति दिख रही थी जो किसी को तीर्थ यात्रा करने के बाद नहीं मिलता हैं। यह सब देखने के बाद अभी भी नायक के मन में आत्महत्या का सुनामी चल रहा था, वो भारी मन से रेल के पटरी पर जा खड़ा हो गया और अपने मौत का इंतजार करने लगा.

— अभिषेक कुमार शर्मा

अभिषेक राज शर्मा

कवि अभिषेक राज शर्मा जौनपुर (उप्र०) मो. 8115130965 ईमेल [email protected] [email protected]

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