गीतिका/ग़ज़ल

नई कहानी बन

बस दिल से सच्चा हिंदुस्तानी बन।
आये देश के काम वह जवानी बन॥

क्यों जला रहा ख़ुद से ही ख़ुद को,
अगर वह आग तो तू पानी बन।

क्या हुआ जो उन्होंने भुला दिया,
तेरी याद सताए वह निशानी बन।

वक़्त के साथ बदलेंगे सभी रिश्ते,
तू दिल में रहे सदा वह रवानी बन।

ग़ज़लें बहुत लिखी गयी मोहब्बत की,
ये नया दौर है तू नई कहानी बन।

क्या बिगाड़ लेगी पतझड़ सौरभ का,
तू सावन की फुहार मस्तानी बन।

निज रक्त से नई इबारत लिखकर,
देशहित की इतिहासिक कुर्बानी बन।

— प्रियंका सौरभ

प्रियंका सौरभ

रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, (मो.) 7015375570 (वार्ता+वाट्स एप) facebook - https://www.facebook.com/PriyankaSaurabh20/ twitter- https://twitter.com/pari_saurabh

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