अन्य लेख

रेडियो मनोरंजन का एकमात्र विकल्प था,

पुराने समय में रेडियो वास्तव में मनोरंजन का एकमात्र विकल्प था। रेडियो का आविष्कार 19वीं शताब्दी में गुग्लिएल्मो मार्कोनी ने किया था। उन्होंने 1895 में पहली बार रेडियो सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने में सफलता प्राप्त की।
पुराने समय में रेडियो के दो प्रकार थे।
एएम (एम्प्लिट्यूड मॉड्यूलेशन) रेडियो- यह रेडियो प्रकार सबसे पहले विकसित किया गया था। इसमें ऑडियो सिग्नल को रेडियो तरंगों के साथ मॉड्यूलेट किया जाता था।
एफएम (फ्रीक्वेंसी मॉड्यूलेशन) रेडियो- यह रेडियो प्रकार बाद में विकसित किया गया था। इसमें ऑडियो सिग्नल को रेडियो तरंगों की फ्रीक्वेंसी के साथ मॉड्यूलेट किया जाता था।
पुराने समय में रेडियो पर कई प्रकार के कार्यक्रम प्रसारित किए जाते थे, जिनमें शामिल थे, संगीत कार्यक्रम, रेडियो पर संगीत कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय थे। इन कार्यक्रमों में विभिन्न प्रकार के संगीत, जैसे कि शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, और फिल्मी संगीत, प्रसारित किए जाते थे। नाटक और कहानियां,रेडियो पर नाटक और कहानियां भी बहुत लोकप्रिय थीं। इन कार्यक्रमों में विभिन्न प्रकार की कहानियां और नाटक प्रसारित किए जाते थे।
समाचार और चर्चा, रेडियो पर समाचार और चर्चा कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते थे। इन कार्यक्रमों में देश और विदेश की खबरें और चर्चा प्रसारित की जाती थी। शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रम, रेडियो पर शिक्षा और स्वास्थ्य कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते थे। इन कार्यक्रमों में शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रसारित की जाती थी।
रेडियो के प्रभाव बहुत व्यापक थे। यह न केवल मनोरंजन का एकमात्र विकल्प था, बल्कि यह शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाचार के क्षेत्र में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। रेडियो से लोगों को देश और विदेश की खबरें और चर्चा के बारे में जानकारी प्रदान की जाती थी, जिससे लोगों को अपने देश और दुनिया के बारे में जानकारी मिल जाती थी।
रेडियो की वर्तमान स्थिति।
आजकल, रेडियो की लोकप्रियता थोड़ी कम हो गई है, क्योंकि टीवी, इंटरनेट, और सोशल मीडिया जैसे अन्य मनोरंजन विकल्पों की लोकप्रियता बढ़ गई है। लेकिन फिर भी, रेडियो अभी भी एक महत्वपूर्ण मनोरंजन विकल्प है। रेडियो कार्यक्रमों में संगीत, नाटक, कहानियां, समाचार, और शिक्षा संबंधी कार्यक्रम शामिल हैं। वर्तमान में, रेडियो कार्यक्रमों को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर भी सुना जा सकता है, जिससे इसकी पहुंच बढ़ गई है। इसके अलावा, रेडियो कार्यक्रमों में अब नए और नवीन प्रारूपों का समावेश किया जा रहा है, जैसे कि पॉडकास्ट और ऑनलाइन रेडियो शो। हालांकि, रेडियो कार्यक्रमों के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जैसे कि टीवी, इंटरनेट, और सोशल मीडिया जैसे अन्य मनोरंजन विकल्पों की बढ़ती लोकप्रियता। इसके अलावा, रेडियो कार्यक्रमों को अब विज्ञापन और व्यावसायिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जो इसकी सामग्री और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है।

— डॉ. मुश्ताक अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

Leave a Reply