मौन अभिव्यक्ति
मौन नि:शब्द मन की एक मूक भाषा,
परिस्थिति पर निर्भर जिसकी परिभाषा,
कभी स्वीकृत पथ बढ़ा शांति की ओर,
या तूफानों के आने का गुपचुप शोर ।
मौन प्रति उत्तर उन प्रश्नों का संक्षिप्त,
जब मन न चाहे होना प्रसंग में संलिप्त,
वातावरण जहां हो क्लेशमय व क्लिष्ट,
मौन वहां इंगित करता दृश्य उत्कृष्ट ।
मौन खोज अपने को पहचानने की,
दृष्टिकोण गूढ़ रहस्य को जानने की,
मौन को हर कोई न समझ सकता,
कहीं पर “आनंद” कहीं मन तड़पता ।
मौन कभी बन कारण तोड़ता संबंध,
मौन कभी जोड़ता ईश्वर से अनुबंध,
मौन कभी हिम्मत बन साथ निभाता,
कभी ये जिंदगी को रूखा कर जाता ।
मौन कभी मजबूरी कभी है जरूरी,
कमजोरी बने, कभी हो धैर्य की डोरी,
मौन है कला सबके बस की बात नहीं,
मौन का रूप हो चेतना, चित्कार नहीं ।
— मोनिका डागा “आनंद”