रोला छंद
कैसे हो विश्वास, समय अब बदल गया है ।
लगता जैसे आज, यहाँ कुछ लुप्त हुआ है।।
उनका मेरे शीश पर, एक आवरण भारी था।
कहते थे तब लोग, बड़ सौभाग्य धारी था।।
ईश पर हो विश्वास, उसी का समय रहेगा।
जैसी होगी चाह, वही सब नहीं चलेगा।।
गुरु पर हो विश्वास, ज्ञान भी तब मिलता।
जो हैं इससे दूर, भला कितना फलता है।।
कौन पधारा द्वार, ध्यान इसका भी रखिए।
अपने कुंठित भाव, छोड़कर स्वागत करिए।।
करे कौन है फिक्र, चीख सुन आज किसी का।
टीस बढ़ी है आज, दर्द सारी दुनिया का।।
रूप निराला राम, आप हम देख रहे हैं।
मंत्र मुग्ध हैं लोग, धार ज्यों गंग बहे है।।
घर-घर बहे बयार , बहन पीहर आई है।
भाई बहन का प्यार , खूब मस्ती छाई है।।
राखी बांधी हाथ, साथ में माथे टीका ।
मीठा लाई साथ , भाग्य का टूटा छींका।
देख अमीरी लोग, भावना हुई घमंडित।
हैं कितने अज्ञान, हुए जो हैं पाखंडित।।
चाहे जितना यार, आप मानें हम पापी।।
हो जाता उद्धार, राम की किरपा व्यापी।।
समय चक्र का खेल, सफल या असफल सपना।।
कौन पास या फेल, भाग्य है अपना अपना।।
करता वो अपमान, दोष है ये आदत का।।
उस पर भूत सवार, नशा अपनी दौलत का।।
आखिर अपनी हार , भला हम क्योंकर मानें।
खोना क्या उपहार , नहीं हम वह पथ जानें ।।
करता है अपमान , नित्य परिवेश भुलाकर ।
उस पर भूत सवार , रंग पश्चिम का आकर ।।
बहन पधारे द्वार , नित्य पथ भ्रात निहारे।
बाँधे रक्षा सूत्र , हाथ सिर पर मम धारे ।।
किसको कहें गरीब , जब सब यहां गरीब हैं ।
दुनिया लगती पोल, सभी बजाते ढोल हैं।।
किसको कहें गरीब , यहां पर सब निर्धन हैं ।
दुनिया लगती पोल , ढोल में नकलीपन है ।।
तुम हो क्यों बेचैन, रीति आना जाना है।
अब हो जाओ मौन, प्रीति व्याकुल माना है।।
करो आप स्वीकार,नमन मेरा स्वीकारो।
हो मेरा उद्धार, शरण आया हूँ तारो।।
आज ज़हर का बीज, नहीं तुम इतना घोलो!
बांटो मीठी चीज, शब्द दो प्यारे बोलो।।
राम नाम ही आस, राम की जपिए माला।
करुं सदा विश्वास, टूटते हैं हर जाला।।