कविता

विलक्षण साध्वी प्रमुखा- कनकप्रभा जी

पिता सूरजमल जी एवं माता छोटी बाई की सुता
कुशाग्र , बुद्धि, विवेकशील कला
तेरापंथी साध्वियों में अग्रिम पंक्ति पद हासिल किया,
साध्वी प्रमुखा उपाधि प्राप्त कर, निज गरिमा को विस्तार दिया।
केलवा में गुरु पूर्णिमा के दिन
श्री तुलसी से दीक्षित होकर गुरु सानिध्य प्राप्त किया।
व्याकरण कोश, तर्कशास्त्र, आगम विधाओं का
तर्कशील अध्ययन, अनुशीलन किया।
तीस वर्ष में साध्वी प्रमुखा पद का मान मिला,
और कला को श्री तुलसी जी ने, कनकप्रभा का नूतन नाम दिया।
कुशल संपादिका, व्यक्तित्व निर्मात्री, कवयित्री,
प्रखर वक्ता, लेखिका, प्रबंधबेत्ता की छवि धारी,
साध्वी प्रमुखा ने नव कीर्तिमान गढ़ा।
आचार्य श्री तुलसी द्वारा रचित ग्रंथों का कुशल संपादन साध्वी कनक प्रभा जी ने ही किया।
महिला समाज एवं नारी की विशेषताओं को
नव पथ पर लाकर खड़ा किया ।
विलक्षण प्रतिभाओं की धनी साध्वी प्रमुखा ने
गुरु भक्ति ,अनुशासन, ज्ञान, अध्यात्म का अनुसरण किया,
तेरापंथ धर्म संघ में आचार्य का आदर्श स्थापित किया,
आपके पचास वर्षीय शासन काल को
अमृत महोत्सव सरीखा माना गया,
आपका यश वैभव मील का पत्थर बन गया।
नियोजित कार्यशैली की गुणवत्ता,सफलता का
बारंबार नव कीर्तिमान स्थापित किया।
साध्वी प्रमुखा, महाश्रमण जी और संघ महानिदेशिका के शासन माता पदों को आपने सुशोभित किया।
बहुमुखी विलक्षण प्रतिभा की धनी, साध्वी प्रमुखा ने जीवन मे अनगिनत सम्मान उपलब्धियां
त्रै आचार्यों से पाकर संघ शिखर पर जाकर
शासन माता कनक प्रभा जी ने श्रेष्ठ स्थान छू लिया।
इक्यासी वर्ष की उम्र में आपने महाप्रयाण किया,
सचमुच आपका जीवन धन्य धन्य हो गया।
आपका नाम, यश, गाथा, महिमा वसुधा पर
सदा-सदा के लिए अमर हो गया,
जन-मन नित्य आपका नमन वंदन करता है,
आज भी शीश झुकाकर श्रद्धा से नतमस्तक होकर
अपने सौभाग्य को आपकी दया, कृपा
करुणा का ही फल समझता है,
आपके व्यक्तित्व की महिमा को हृदय से याद करता है
और नम आँखों से आपको नमन कर शीश झुकाता है
दूर होकर भी सदा आपको अपने पास पाता है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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