गीत/नवगीत

परिवर्तन जीवन का मूल

स्थिरता तो शब्द मात्र है, इसको ना तुम जाना भूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

षड् ऋतु आती जाती हैं।

वसंत में कोयल गाती हैं।

ग्रीष्म, वर्षा, शरद चक्र है,

हेमंत और शिशिर, आाती हैं।

कभी नायिका गर्म है होती, कभी नर को करती है कूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

समय चक्र चलता ही रहता।

बर्फ पिघलती, जल है बहता।

कल तक प्रेमी प्रेम में डूबा,

बिछड़ वही है वियोग को सहता।

प्रयासों से पुष्प पल्लवित, निष्क्रियता बनती है शूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

अपने आपको भूल गए थे।

उदासीन हो कूल भए थे।

सृजन तो प्रयास से होता,

निष्क्रिय हो हम गूल भए थे।

हमरे पथ में धूल बिछी है, तुमरे पथ हैं प्रेम के फूल।

परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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