अभी तो मैं जवाँ हूँ
तुम्हें देखकर ,
अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।
मेरी उम्र क्या है ?
मैं यह सोच पाता नहीं ,
प्रेम बंधन नहीं स्वच्छंद है ।
अधिकतर मैंने देखा है,
उम्र के किसी भी पड़ाव पर ,
कई लोगों को प्रेम हो जाता है,
दिल कहता है , अभी तो मैं जवाँ हूँ।
बसंत ऋतु का आगमन हो गया है,
फागुन का महीना है।
दो पंछियों का जोड़ा देख,
तुम्हारे पास आने को जी चाहता है,
मन कहता है , अभी तो मैं जवाँ हूँ।
दो दिलों का संगम हो,
मेरी यही कामना है-
मोहब्बत के रंग में रंग जाए दुनिया सारी,
धड़कनें यही कहती हैं, अभी तो मैं जवाँ हूँ।
हाल दिल का सुनो दोस्तों !
नित प्रातः किरण मुझसे आकर कहती –
‘अभी तो तुम जवाँ हो ‘
यह वाक्य कर्णप्रिय लगते,
मन में आशा लिए, विश्वास जगें,
इश्क़ के रंग में रंग जाऊँ,
अभी तो मैं जवाँ हूँ।
— चेतना प्रकाश चितेरी