कुण्डली/छंद

कुण्डली

कवि लेखक आचार्य गुरु, पत्रकार सरकार
आड़म्बर के पाप में, कितने भागीदार
कितने भागीदार, करें किस किस का चर्चा
लिखते लिखते नाम, पड़ेगा छोटा पर्चा
कह बंसल कविराय, धर्म की मेट रहे छवि
ढोंगी मुल्ले संत, और कुंठित लोभी कवि।।

छाती पीटे झूठ या, ढोंगी करें बवाल
कवि का पहला धर्म है, सत्य लिखे हर हाल
सत्य लिखे हर हाल, बिना लालच या भय के
डँटकर करे विरोध, विरुद्ध ओछे निर्णय के
कह बंसल कविराय, साधना यही सिखाती
रहो न्याय के साथ, ठोक कर अपनी छाती।।

जब तक मन में शेष हैं, दंभ क्षोभ उन्माद
तब तक संभव ही नही, जीवन में आह्लाद
जीवन में आह्लाद, चाहिये तो सत धारो
संयम का व्रत धार, सत्य का मंत्र उचारो
कह बंसल कविराय, न मुक्ति मिलेगी तब तक
तन मन और विचार, न पावन होंगे जब तक।।

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

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