सामाजिक

जीवन साथी से अलगाव मुश्किल और पीढ़ादायक हो सकता है।

जीवनसाथी से अलगाव के बाद जीवन में एक बड़ा बदलाव आता है, अलगाव के कोई भी कारण हो सकते हैं, और यह बहुत मुश्किल और पीढ़ादायक हो सकता है। इसलिए, समय रहते ही जीवनसाथी की कद्र करना और उनके साथ खुशहाल जीवन जीना बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन वास्तव में बहुत लंबा नहीं है, और तन्हा जिंदगी जीना बहुत मुश्किल हो सकता है। या होता है। इसलिए, अपने जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध बनाने और उनके साथ ख़ुशहाल जीवन जीने के लिए समय रहते ही प्रयास करना चाहिए।
ये बात सही है कि हमारे पास समय कितना है? बचपन, जवानी, बुढ़ापा, और मृत्यु – बस यही जीवन है। इसलिए, एक दूसरे का सहारा बनकर और अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुशहाल जीवन जीने के लिए समय रहते ही प्रयास करना चाहिए। टाइम इस मनी, इस सेंटेंस को कितनी बार पढ़ा है हमने, लेकिन क्या इसको हमने आत्मसात् किया है, विचारणीय विषय है ये। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश है जो हमें अपने जीवनसाथी की क़द्र करने और उनके साथ खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। यहाँ कुछ और बिंदु हैं जो आपको अपने जीवनसाथी के साथ ख़ुशहाल जीवन जीने में मदद कर सकते हैं।

  1. संवाद, अपने जीवनसाथी के साथ खुलकर और ईमानदारी से संवाद करें। अपने विचारों, भावनाओं, और जरूरतों को व्यक्त करें।
  2. सम्मान, अपने जीवनसाथी का सम्मान करें और उनकी भावनाओं का ख्याल रखें।
  3. विश्वास, अपने जीवनसाथी पर विश्वास करें और उनकी ईमानदारी का सम्मान करें।
  4. सहयोग, अपने जीवनसाथी के साथ सहयोग करें और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करें।
  5. प्यार और स्नेह, अपने जीवनसाथी के प्रति प्यार और स्नेह दिखाएं और उनके साथ रोमांटिक पल बिताएं।
  6. समय बिताना, अपने जीवनसाथी के साथ समय बिताने के लिए प्रयास करें और उनके साथ गतिविधियों में भाग लें।
  7. समस्याओं का समाधान, अपने जीवनसाथी के साथ समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयास करें और उन्हें सुलझाने में मदद करें।
  8. आभार, अपने जीवनसाथी के प्रति आभार दिखाएं और उनके योगदान को मान्यता दें।
  9. व्यक्तिगत स्पेस, अपने जीवनसाथी को व्यक्तिगत स्पेस दें और उनकी ज़रूरतों का सम्मान करें।
  10. प्रेम और समर्थन, अपने जीवनसाथी को प्रेम और समर्थन दें और उनके साथ एक मजबूत और स्वस्थ रिश्ता बनाएं।

अपने जीवनसाथी के साथ एक ख़ुशहाल और स्वस्थ रिश्ता बना सकते हैं। जीवन सिर्फ़ एक क्षण है, इसकी क़ीमत करनी ही होगी।

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,

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