जीवन मूल्य
करता कोई असर नहीं कोई भी जब दवा
बस एक दुआ ही काम आजार में आवे
जीवन मिला जिसे बड़ भाग्य कहो मानव
कितनी योनि पार लगे फिर संसार में आवे
मनुज धर्म कहता करते रहो सत्कर्म सदा
यही अच्छे गुण संतति औ परिवार में आवे
इतना भी आसां नहीं दुनियादारी को ढोना
नाम लिखवाने तो हर कोई दावेदार में आवे
काम किया लुटेरों का नाम सरदार कहावे
तभी तो रोज एक नये वह किरदार में आवे
पल-पल रंग बदलता प्रजाति वो इंसान का
पहन मुखौटा अब तो यहाँ सरकार में आवे
उसके सारे काम होते हैं दलालों के हिस्से
जाने क्या छिपते-छिपाते उपहार में आवे
छुट जाते हैं पसीने बात अखबार में आवे
बस कलम ही निहत्थों के हथियार में आवे
— सपना चन्द्रा