जिंदा रहना जरूरी है
आजादी
संभव नहीं,
जब तक
किसी का हाथ चाहिए,
किसी का साथ चाहिए,
कानून की सुरक्षा चाहिए
तो कानून भी स्वीकारना होगा,
परिवार चाहिए
बंधनों को मानना होगा
रोटी, कपड़ा और मकान
भी बंधन है
बंधन है यह जीवन भी
तभी तो
युगों युगों से
रही है चाह मुक्ति की,
चार पुरुषार्थ माने गए
धर्म, अर्थ काम और मोक्ष
पर मिले किसी को
जिज्ञासा अभी है
बंधन भी है
नहीं चाहिए मुझे
आजादी
किंतु
जिंदा रहना जरूरी है
भले ही जीना
मजबूरी है।