कविता

जिंदा रहना जरूरी है

आजादी
संभव नहीं,
जब तक
किसी का हाथ चाहिए,
किसी का साथ चाहिए,
कानून की सुरक्षा चाहिए
तो कानून भी स्वीकारना होगा,
परिवार चाहिए
बंधनों को मानना होगा
रोटी, कपड़ा और मकान
भी बंधन है
बंधन है यह जीवन भी
तभी तो
युगों युगों से
रही है चाह मुक्ति की,
चार पुरुषार्थ माने गए
धर्म, अर्थ काम और मोक्ष
पर मिले किसी को
जिज्ञासा अभी है
बंधन भी है
नहीं चाहिए मुझे
आजादी
किंतु
जिंदा रहना जरूरी है
भले ही जीना
मजबूरी है।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)

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