इतनी शक्ति मुझे दे दो
हर कर्तव्य निभाती जाऊं, इतनी शक्ति मुझे दे दो |
नहीं कभी विचलित होऊँ मैं, इतनी भक्ति मुझे दे दो |
सदा बढ़े विश्वास हमारा,सदा फले विश्वास मेरा,
यश गौरव में कमी न आये सदा बढे सम्मान मेरा |
तेरे रहते नहीं अकेली,इतनी तृप्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |
दुनिया में हर रिश्ता झूठा,मुझे मिला अब तक माता |
प्रीत रीति के इस बंधन ने, पल-पल मुझको है पाटा |
पर अनुबंध निभाती जाऊं,वह अनुरक्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |
सदा धर्मरत चलूं कर्मपथ, हर दायित्व निभाऊँ मैं |
नारी की मर्यादा रख के,जीवन सफल बनाऊं मैं |
बल संयम साहस संबल की पैनी दृष्टि मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो|
मिथ्या दोष मढे जब कोई,नहीं उसे सह सकती हूँ |
करे कलंकित नारी को जो,यह कैसे गह सकती हूं|
स्वाभिमान को जीवित रक्खूँ,वह अभिव्यक्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो|
नारी हूँ नारी को अबला,बेचारी मत बनने दूँ |
सबल बनूं सबला कहलाऊँ ,बीमारी मत बनने दूँ |
नारी का सिरमौर बनू मैं ऐसी युक्ति मुझे दे दो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |
— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”