गीत/नवगीत

इतनी शक्ति मुझे दे दो

हर कर्तव्य निभाती जाऊं, इतनी शक्ति मुझे दे दो |
नहीं कभी विचलित होऊँ मैं, इतनी भक्ति मुझे दे दो |

सदा बढ़े विश्वास हमारा,सदा फले विश्वास मेरा,
यश गौरव में कमी न आये सदा बढे सम्मान मेरा |
तेरे रहते नहीं अकेली,इतनी तृप्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |

दुनिया में हर रिश्ता झूठा,मुझे मिला अब तक माता |
प्रीत रीति के इस बंधन ने, पल-पल मुझको है पाटा |

पर अनुबंध निभाती जाऊं,वह अनुरक्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |

सदा धर्मरत चलूं कर्मपथ, हर दायित्व निभाऊँ मैं |
नारी की मर्यादा रख के,जीवन सफल बनाऊं मैं |
बल संयम साहस संबल की पैनी दृष्टि मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो|

मिथ्या दोष मढे जब कोई,नहीं उसे सह सकती हूँ |
करे कलंकित नारी को जो,यह कैसे गह सकती हूं|
स्वाभिमान को जीवित रक्खूँ,वह अभिव्यक्ति मुझे देदो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो|

नारी हूँ नारी को अबला,बेचारी मत बनने दूँ |
सबल बनूं सबला कहलाऊँ ,बीमारी मत बनने दूँ |
नारी का सिरमौर बनू मैं ऐसी युक्ति मुझे दे दो |
हर कर्तव्य निभाती जाऊं इतनी शक्ति मुझे दे दो |

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016