बाल कविता

बाल कविता

मां के कोमल करुणा से
बच्चो को यूं छाया मिला
प्यारे बच्चे सुंदर बच्चे
सबके मन के मोहक बच्चे
सबके राज दुलारे बच्चे
सबके मन को भाए बच्चे ब
च्चो के चहके ये बोल
घर आंगन में होवे शोर
इनकी ख्वाइशे है ऐसे
मांगे चांद सितारे जैसे
घर भी सुंदर मन भी सुंदर
बच्चों से सारे जग भी सुंदर।

— विजया लक्ष्मी

विजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।

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