हे परवरदिगाऱ करों हमला ‘वृत्ति’ पर
सीरिया के नए ‘शासनकाल‘ में गोली,
जारी हिंसा ‘मानवता‘ ने खेली होली।
यह इतनी हैं भयानक ढा रहीं कयामत,
आम इंसान डर रहे कैसे रहें सलामत।
पुरुष श्वानों की तरह घुटनों चल रहें,
महिलाओं की भी हत्याओं से डर रहें।
सीरिया के नए ‘शासनकाल‘ में गोली,
जारी हिंसा ‘मानवता‘ ने खेली होली।
‘मौत‘ तो ‘नाच‘ रही हो गई है हज़ार,
‘तांडव‘ इतना गहरा है न बनें मज़ार।
सरकार का समर्थन करतेे बंदूकधारी,
ना जाने किस-किसकी आ रही बारी।
सीरिया के नए ‘शासनकाल‘ में गोली,
जारी हिंसा ‘मानवता‘ ने खेली होली।
द्रुढ़ अलावित अल्पसंख्यक समुदाय,
जान बचाने के लिए करतेे हाय-हाय।
सड़क पे करते महिलाओं को निर्वस्त्र,
ये इंसानियत के दरिन्दों का है शस़्त्र।
सीरिया के नए ‘शासनकाल‘ में गोली,
जारी हिंसा ‘मानवता‘ ने खेली होली।
कई घर पूरी तरह जलाकर हुए ख़ाक,
मल रहे उग्रवादी अपने माथे पर राख़।
बिछी हुई लाशें इमारतों की छतों पर,
हे परवरदिगाऱ करों हमला ‘वृत्ति’ पर!
नापाक हो इनके इरादें पावन धरा पर।
(संदर्भ: सीरिया में हो रही हिंसक घटनाएँ)
— संजय एम तराणेकर