लघुकथा – सुर्खियाँ
एक पत्रिका के उप संपादक ने मेरी एक रचना अपनी पत्रिका में अपने नाम से छाप दी थी। इसकी सूचना मेरे एक पाठक मित्र ने दी। देखते -देखते यह खबर सोशल मीडिया और अखबारों में वायरल हो गई।
उप संपादक महाशय मेरे पास आए और माफ़ी माँगने लगे। मैंने हँसते हुए कहा, “माफ़ी! मुझे तो आपको धन्यवाद देना चाहिए।आपने मेरी रचना चोरी कर अपने नाम छापी और अखबारों की सुर्खियों में मेरा नाम आ गया।”
— राजकुमार सरकार, धनबाद
(बांग्ला से हिंदी में अनुवाद।)
अनुवादक — निर्मल कुमार दे