सामाजिक

पितृपक्ष में पापा से बातें

पता है पापा चारो ओर यह शोर है कि आरंभ है पितृपक्ष।
आप ना पापा आप!इन दिनों आएंगे हमारे समक्ष|रहेंगे हमारे आस पास साथ में रहेंगे बाबा, आजी, बड़े पापा, बड़ी मम्मी,चाचा।सभी कहते हैं दक्षिण की ओर मुहँ करके आपको अर्पित करना है जल, तभी आप खुश होंगे।हाथ में कुश,काला तिल। तभी पूरी होगी तर्पण।पापा आप तो ऐसे नहीं थे,आप तो कभी नाराज़ ही नहीं हुए हम सबसे।जिस दिन होगी तिथि आपकी भोजन बनेगी आपकी पसंद वाली।फिर उस भोजन को छत पे रख दूँ और राह देखूँ आएगा कौवा और भोजन ग्रहण किया तो सफल हो गई मेरी पितृपक्ष में तर्पण।कौवा और आप नहीं होगा पापा हमसे ये।दक्षिण की ओर मुख करके जल नहीं डाला तो पापा क्या नाराज हो जाएंगे।आप कभी नहीं नाराज़ हो सकते।आप तो शुरू से हमें क्षमा करते आए हैं और आज भी जल किसी भी तरफ मुहँ करके डालो आप तो भावना को पहचानेंगे ना पापा और जरूर ग्रहण करेंगे।पहली बार आपके नाम के आगे स्वर्गीय लिखना, इससे बड़ा दुखदाई क्षण कुछ नहीं था मेरे लिए पापा।आंखों में इतने अश्रु की शब्द नहीं दिखे,रुंध गये थे कंठ। आप हर पल हर क्षण हमारे साथ है।

पापा आपको क्या बताना मेरी मनोभावना
पापा से बेहतर बच्चों को किसने हैं जाना?
पर अपने धर्म की ना हो अवहेलना
जरूर इनमें छुपी हैं संवेदना,
हमें पितरों की भी करनी है अर्चना,
धर्म हैं हमारा उन्हें खुश रखना
ये चंद पंक्तियाँ सच में मेरे मन में चलती है|

आपकी बेटी — सविता सिंह मीरा

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]

Leave a Reply