होली और नमाज़ दोनों ही हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा हैं
होली और जुमे की नमाज़ को लेकर कुछ फितूर खोरों द्वारा तनाव का वातावरण बनाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन आम जनता इस तरह की बातों से दूर है। यह एक राजनीतिक चाल है जिसका उद्देश्य समाज में विभाजन पैदा करना और अपने राजनीतिक हितों को पूरा करना है। लेकिन हमें इस तरह की चालों से सावधान रहना चाहिए और समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए।
हमें यह समझना चाहिए कि होली और जुमे की नमाज़ दोनों ही हमारे देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा हैं। हमें इन त्योहारों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ नहीं खड़ा करना चाहिए, बल्कि इन्हें एक दूसरे के साथ जोड़ना चाहिए और समाज में एकता और सौहार्द को बढ़ावा देना चाहिए। आम जनता को इस तरह की राजनीतिक चालों से सावधान रहना चाहिए। हमें अपने देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को बचाना चाहिए और समाज में एकता और सौहार्द को भाई चारे को मज़बूत करना चाहिए।
देश में बढ़ते तनाव और विभाजनकारी माहौल को देश के हित में नहीं माना जा सकता है। यह माहौल न केवल समाज की एकता और सौहार्द को कमजोर करता है, बल्कि देश के विकास और प्रगति को भी प्रभावित करता है। हमें यह समझना चाहिए कि हमारा देश की विविधता एकता की प्रतीक है, और हमें इस विविधता को बनाए रखने और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए। हमें अपने मतभेदों को भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए और देश के विकास के लिए एक साथ प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें अपने नेताओं और सरकार से भी अपेक्षा करनी चाहिए कि वे देश के हित में निर्णय लें और देश को एकता और सौहार्द की ओर ले जाएं। हमें अपने समाज में भी एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और समझदारी का व्यवहार करना चाहिए और देश के विकास में योगदान देना चाहिए।
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह सहज़