कुण्डली/छंद

कुंडलिया

कुछ आगे की सोचिये,बीती बातें भूल |
नहीं चुभेंगे शूल फिर, राह खिलेंगे फूल ||
राह खिलेंगे फूल, प्रफुल्लित तन-मन होगा |
मुट्ठी में तक़दीर,सफल यह जीवन होगा ||
कहे “मृदुल” मन आज,बात यह लाख टके की |
नहीं लीक पर चलें,सोंचिए कुछ आगे की

संकट टल जाएं सभी, यदि मिट जाए स्वार्थ |
कुछ आगे की सोचिए कुछ करिए परमार्थ ||
कुछ करिए परमार्थ,यही मानव आभूषण |
मिटे शत्रुता भाव,कामना हो तब पूरण ||
“मृदुल” मनुजता धारे,तब होगा जग निर्मल |
प्रेम और सौहार्द बढ़े जाए संकट टल ||

— मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”

*मंजूषा श्रीवास्तव

शिक्षा : एम. ए (हिन्दी) बी .एड पति : श्री लवलेश कुमार श्रीवास्तव साहित्यिक उपलब्धि : उड़ान (साझा संग्रह), संदल सुगंध (साझा काव्य संग्रह ), गज़ल गंगा (साझा संग्रह ) रेवान्त (त्रैमासिक पत्रिका) नवभारत टाइम्स , स्वतंत्र भारत , नवजीवन इत्यादि समाचार पत्रों में रचनाओं प्रकाशित पता : 12/75 इंदिरा नगर , लखनऊ (यू. पी ) पिन कोड - 226016

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