बादशाह हाथ जोड़े माता हो महान्…!
सीकर-जयपुर मार्ग पर हैं गोरिया,
जीणमाता प्राचीन मंदिर फूलोरिया।
इनका वास्तविक नाम जयंती माता,
घने जंगलों से घिरा हुआ यह पाता।
मंदिर ये दक्षिण प्रवेशद्वार पूर्वमुखी।
जब भी हो माँ के दर्शन होते हैं सुखी।
अष्टभुजा आदमकद मूर्ति प्रतिस्थापित,
पीतल का सिर कंकालीमाता ज्ञापित।
पश्चिम में हैं महात्मा का तप स्थान,
जहाँ संपूर्णता से ही मिलता है ज्ञान।
शेखावाटी के मंदिरों को करने ध्वस्त,
भेजी एक विशाल सेना करने पस्त।
माता ने सबसे बड़ा चमत्कार किया,
औरंगजेब की सेना को ही भगा दिया।
हर्ष पर्वत पर शिव व हर्षनाथ भैरव,
मंदिर खंडित करने आ रहे थे वैरव।
पुजारियों के आर्त स्वर माँ से विनय,
जीण ने भंवरे छोड़ किया आक्रमण।
औरंगजेब की शाही सेना लहूलुहान,
बादशाह हाथ जोड़े माता हो महान्।
(शब्द: भंवरे यानि बड़ी मधुमखियां।)
— संजय एम तराणेकर